मेरी हाल की लिखी हुई एक ग़ज़ल- देखिए और प्रतिक्रिया दीजिए ll
मेरे दिल की सदा तुम तक पहुंच जाती तो अच्छा था,
जो वादा था किया तुमने निभा पाती तो अच्छा था l
बहुत सी प्यार की यादें घिरी है अब सवालों में,
अगर तुम आके उन सबको मिटा जाती तो अच्छा था l
बहुत सपने सजाए थे कभी हमने वफाओं के,
तुम्हारी ही खुमारी थी,तुम ही थे अपनी बाहों में l
मगर अब दोस्त भी वो ही भुला बैठा जो सच्चा था,
मेरे दिल की सदा तुम तक पहुंच जाती तो अच्छा था l
जमाने की ये महफिल थी मगर सब नज्म तेरे थे,
तुम्हारी ही थी सैदाई महज अंदाज मेरे थे l
मेरे हर रंग फीके हैं तू भर जाती तो अच्छा था,
मेरे दिल की सदा तुम तक पहुंच जाती तो अच्छा था l
नहीं शहनाइया बजती है अब दिल के खयालों में
तसल्ली ढूंढता है मन वफाओं के सवालों में l
के आकर फिर हिकारत तू दिखा जाती तो अच्छा था,
मेरे दिल की सदा तुम तक पहुंच जाती तो अच्छा था l
कवि शिव इलाहाबादी
मोबा.-7398328084
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